खामोश लब हैं झुकी हैं पलकें Lyrics - शबीना अदीब |
खामोश लब हैं झुकी हैं पलकें गझल हिंदी
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है
अभी तक़ल्लुफ़ है गुफ़्तगू में अभी मोहब्बत नई-नई है
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है
अभी न आएगी नींद तुमको अभी न हमको सुकूं मिलेगा
अभी तो धड़केगा दिल ज्यादा अभी ये चाहत नई-नई है
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है
बहार का आज पहला दिन है चलो चमन में टहल के आएं
फ़ज़ां में खुशबू नयी नयी है गुलों पे रंगत रंगत नई-नई है
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है
जो खानदानी रईस हैं वो मिज़ाज़ रखते हैं नरम अपना
तुम्हारा लहज़ा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई-नई है
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है
जरा सा कुदरत ने क्या नवाजा कि आके बैठे हैं पहली सफ़ में
अभी से उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई-नई है
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है
बमों की बरसात हो रही है पुराने जांबाज़ सो रहे हैं
गुलाम दुनिया को कर रहा वो जिसकी ताकत नई-नई है
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है
जरा सा कुदरत ने क्या नवाजा कि आके बैठे हैं पहली सफ़ में
अभी से उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई-नई है
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है
बमों की बरसात हो रही है पुराने जांबाज़ सो रहे हैं
गुलाम दुनिया को कर रहा वो जिसकी ताकत नई-नई है
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है
- शबीना अदीब
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Khaamosh Lab Hai Jhuki Hai Palake Lyrics In Hindi
khaamosh lab hai jhuki hai palake dilo me ulphat nai-nai hai
abhi taqalluf hai guftagu me abhi mohabbat nai-nai hai
khaamosh lab hai jhuki hai palake dilo me ulphat nai-nai hai
abhi na aayegi nind tumako abhi na hamako sukun milega
abhi to dhadakega dil jyada abhi ye chaahat nai-nai hai
khaamosh lab hai jhuki hai palake dilo me ulphat nai-nai hai
bahaar ka aaj pahala din hai chalo chaman me tahal ke aaye
faza me khushbu nai-nai hai gulo pe rangat rangat nai-nai hai
khaamosh lab hai jhuki hai palake dilo me ulphat nai-nai hai
jo khanadani raees hai vo miza rakhate hai naram apana
tumhara lahaza bata raha hai tumhari daulat nai-nai hai
khaamosh lab hai jhuki hai palake dilo me ulphat nai-nai hai
jara sa kudarat ne kya navaaja ki aake baithe hai pahali saf me
abhi se udane lage hava me abhi to shoharat nai-nai hai
khaamosh lab hai jhuki hai palake dilo me ulphat nai-nai hai
bamon ki barasaat ho rahi hai purane jambaaz so rahe hain
gulaam duniya ko kar raha vo jisaki taakat nai-nai hai
khaamosh lab hai jhuki hai palake dilo me ulphat nai-nai hai
- Shabeena Adeeb
ग़ज़ल / कविता –
खामोश लब हैं झुकी हैं पलकें / Khamosh Lab Hain Jhuki Hain Palken
कवि –
शबीना अदीब (Shabeena Adeeb)
शबीना अदीब (Shabeena Adeeb)
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