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उनकी चाहत में हम कुछ यूँ बंधे हैं कि..! Unaki Chahat Mein Ham Kuchh Yun Bandhe Hain Ki..!
तन मन हिंदू मेरा परिचय Tan Mann Hindu Mera Parichay Kavita Lyrics - Atal Bihari Vajpayee
तन मन हिंदू मेरा परिचय Tan Mann Hindu Mera Parichay Kavita Lyrics - Atal Bihari Vajpayee |
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) जी की देश भक्ति की कवितायेँ बड़ी प्यारी और वीररस से भरी होती हैं। उनमे से दो कविताएं ऐसी हैं, जो केवल राष्ट्रवादी को ही भाती हैं। जब आप उनकी कविता सुनते या पढ़ते हैं तो आपको भारत के पुत्र होने पे गर्व महसूस हो जायेगा।
लेकिन उनकी इन दोनों कविताओं को लेकर विरोधीयों को एलर्जी हो जाती हैं, यहां तक कि पाकिस्तानियों का पारा चढ़ जाता हैं। इनमें से एक कविता है- ‘तन मन हिंदू मेरा परिचय..’
और दूसरी कविता ‘स्वतंत्रता दिवस की पुकार’ - आजादी अभी अधूरी है! अटलजी ने उस वक्त लिखी थी, जब उन्हें उस समय कोई जानता तक नहीं था। यानि तब वो कॉलेज में पढ़ते थे। वो दिन था आजादी का, 15 अगस्त 1947 का दिन। उस दिन देश तो आजाद हो गया था लेकिन अटलजी को जानने वालो का कहना है कि कानपुर में डी. ए. वी. कॉलेज के हॉस्टल में अटलजी बंटवारे से नाखुश निराश बैठे थे। वो अखंड भारत की आजादी चाहते थे, बंटवारे के खिलाफ थे।
पुरे भारत में अटलजी की ये बहुत ही खूबसूरत कवितायेँ पढ़ी और सुनी जाती हैं। हम सभी भारतीयों को अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविता "तन मन हिंदू मेरा परिचय" और आज के दिन यानी 25 दिसम्बर को अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती रूप में याद रखना होगा.
तन-मन हिन्दू मेरा परिचय कविता - अटल बिहारी वाजपेयी
मैं शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार-क्षार
डमरू की वह प्रलय-ध्वनि हूं जिसमें नचता भीषण संहार
रणचण्डी की अतृप्त प्यास, मैं दुर्गा का उन्मत्त हास
मैं यम की प्रलयंकर पुकार, जलते मरघट का धुआंधार
फिर अन्तरतम की ज्वाला से, जगती में आग लगा दूं मैं
यदि धधक उठे जल, थल, अम्बर, जड़, चेतन तो कैसा विस्मय?
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!
मैं आदि पुरुष, निर्भयता का वरदान लिए आया भू पर
पय पीकर सब मरते आए, मैं अमर हुआ लो विष पी कर
अधरों की प्यास बुझाई है, पी कर मैंने वह आग प्रखर
हो जाती दुनिया भस्मसात्, जिसको पल भर में ही छूकर
भय से व्याकुल फिर दुनिया ने प्रारंभ किया मेरा पूजन
मैं नर, नारायण, नीलकंठ बन गया न इस में कुछ संशय
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!
मैं अखिल विश्व का गुरु महान्, देता विद्या का अमरदान
मैंने दिखलाया मुक्ति-मार्ग, मैंने सिखलाया ब्रह्मज्ञान
मेरे वेदों का ज्ञान अमर, मेरे वेदों की ज्योति प्रखर
मानव के मन का अंधकार, क्या कभी सामने सका ठहर?
मेरा स्वर नभ में घहर-घहर, सागर के जल में छहर-छहर
इस कोने से उस कोने तक, कर सकता जगती सौरभमय
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!
मैं तेज पुंज, तमलीन जगत में फैलाया मैंने प्रकाश
जगती का रच करके विनाश, कब चाहा है निज का विकास?
शरणागत की रक्षा की है, मैंने अपना जीवन दे कर
विश्वास नहीं यदि आता तो साक्षी है यह इतिहास अमर
यदि आज देहली के खण्डहर, सदियों की निद्रा से जगकर
गुंजार उठे उंचे स्वर से ‘हिन्दू की जय’ तो क्या विस्मय?
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!
दुनिया के वीराने पथ पर जब-जब नर ने खाई ठोकर
दो आंसू शेष बचा पाया जब-जब मानव सब कुछ खोकर
मैं आया तभी द्रवित हो कर, मैं आया ज्ञानदीप ले कर
भूला-भटका मानव पथ पर चल निकला सोते से जग कर
पथ के आवर्तों से थक कर, जो बैठ गया आधे पथ पर
उस नर को राह दिखाना ही मेरा सदैव का दृढ़ निश्चय
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!
मैंने छाती का लहू पिला पाले विदेश के क्षुधित लाल
मुझ को मानव में भेद नहीं, मेरा अंतस्थल वर विशाल
जग के ठुकराए लोगों को, लो मेरे घर का खुला द्वार
अपना सब कुछ लुटा चुका, फिर भी अक्षय है धनागार
मेरा हीरा पाकर ज्योतित परकीयों का वह राजमुकुट
यदि इन चरणों पर झुक जाए कल वह किरीट तो क्या विस्मय?
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!
मैं वीर पुत्र, मेरी जननी के जगती में जौहर अपार
अकबर के पुत्रों से पूछो, क्या याद उन्हें मीना बाजार?
क्या याद उन्हें चित्तौड़ दुर्ग में जलने वाला आग प्रखर?
जब हाय सहस्रों माताएं, तिल-तिल जलकर हो गईं अमर
वह बुझने वाली आग नहीं, रग-रग में उसे समाए हूं
यदि कभी अचानक फूट पड़े विप्लव लेकर तो क्या विस्मय?
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!
होकर स्वतंत्र मैंने कब चाहा है कर लूं जग को गुलाम?
मैंने तो सदा सिखाया करना अपने मन को गुलाम
गोपाल-राम के नामों पर कब मैंने अत्याचार किए?
कब दुनिया को हिन्दू करने घर-घर में नरसंहार किए?
कब बतलाए काबुल में जा कर कितनी मस्जिद तोड़ीं?
भूभाग नहीं, शत-शत मानव के हृदय जीतने का निश्चय
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!
मैं एक बिंदु, परिपूर्ण सिन्धु है यह मेरा हिन्दू समाज
मेरा-इसका संबंध अमर, मैं व्यक्ति और यह है समाज
इससे मैंने पाया तन-मन, इससे मैंने पाया जीवन
मेरा तो बस कर्तव्य यही, कर दूं सब कुछ इसके अर्पण
मैं तो समाज की थाती हूं, मैं तो समाज का हूं सेवक
मैं तो समष्टि के लिए व्यष्टि का कर सकता बलिदान अभय
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!
तन-मन हिन्दू परिचय कविता - अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेई जी की जयंती पर उन्हें शत शत नमन 🙏
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Tan Mann Hindu Mera Parichay Kavita Lyrics in English
चाहत अधूरी ही सही पर Chaahat Adhuri Hi Sahi Par
Romantic Love Shayari
Chahat Shayari
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चाहत शायरी
मुस्कुराहट देख कर उनकी हम होश गवा बैठे Muskurahat Dekh Kar Unki Ham Hosh Gawa Baithe
Romantic Love Shayari
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रोमैंटिक शायरी
क़दम मिला कर चलना होगा | अटल बिहारी वाजपेयी | Kadam Milakar Chalana Hoga Lyrics | Atal Bihari Vajpayee
क़दम मिला कर चलना होगा - अटल बिहारी वाजपेयी |
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) जी की देश भक्ति की कवितायेँ बड़ी प्यारी और वीररस से भरी होती हैं। उनमे से दो कविताएं ऐसी हैं, जो केवल राष्ट्रवादी को ही भाती हैं। जब आप उनकी कविता सुनते या पढ़ते हैं तो आपको भारत के पुत्र होने पे गर्व महसूस हो जायेगा।
लेकिन उनकी इन दोनों कविताओं को लेकर विरोधीयों को एलर्जी हो जाती हैं, यहां तक कि पाकिस्तानियों का पारा चढ़ जाता हैं। इनमें से एक कविता है- ‘तन मन हिंदू मेरा परिचय...’ और दूसरी कविता ‘स्वतंत्रता दिवस की पुकार’ - आजादी अभी अधूरी है! अटलजी ने उस वक्त लिखी थी, जब उन्हें उस समय कोई जानता तक नहीं था। यानि तब वो कॉलेज में पढ़ते थे। वो दिन था आजादी का, 15 अगस्त 1947 का दिन। उस दिन देश तो आजाद हो गया था लेकिन अटलजी को जानने वालो का कहना है कि कानपुर में डी. ए. वी. कॉलेज के हॉस्टल में अटलजी बंटवारे से नाखुश निराश बैठे थे। वो अखंड भारत की आजादी चाहते थे, बंटवारे के खिलाफ थे।
पुरे भारत में अटलजी की ये बहुत ही खूबसूरत कवितायेँ पढ़ी और सुनी जाती हैं। हम सभी भारतीयों को अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविता "कदम मिलाकर चलना होगा" और आज के दिन यानी 25 दिसम्बर को अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती रूप में याद रखना होगा. Atal bihari vajpayee famous poem, Kadam Milakar Chalna Hoga, Deshbhakti Hindi Kavita
क़दम मिला कर चलना होगा कविता के बोल हिंदी में
बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा !
क़दम मिलाकर चलना होगा !!
हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा !
क़दम मिलाकर चलना होगा !!
उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा !
क़दम मिलाकर चलना होगा !!
सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढलना होगा !
क़दम मिलाकर चलना होगा !!
कुछ काँटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा !
क़दम मिलाकर चलना होगा !!
― अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेई जी की जयंती पर उन्हें शत शत नमन 🙏
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Kadam Milaakar Chalana Hoga Lyrics in English
Baadhayen aati hain aayen
Ghiren pralay ki ghor ghatayen,
Paaon ke neeche angaare,
Sir par barasen yadi jvaalayen,
Nij haathon mein hansate-hansate,
Aag lagaakar jalana hoga !
Qadam milaakar chalana hoga !!
Haasy-roodan mein, toofaanon mein,
Agar asankhyak balidaanon mein,
Udyanon mein, veeranon mein,
Apamaanon mein, sammaanon mein,
Unnat mastak, ubhara seena,
Peedaon mein palana hoga !
Qadam milaakar chalana hoga !!
Ujiyaare mein, andhakaar mein,
Kal kahaar mein, beech dhaar mein,
Ghor ghruna mein, poot pyaar mein,
Kshanik jeet mein, deergh haar mein,
Jeevan ke shat-shat aakarshak,
Aramaanon ko dhalana hoga !
Qadam milaakar chalana hoga !!
Sammukh phaila agar dhyey path,
Pragati chirantan kaisa iti ab,
Susmit harshit kaisa shram shlath,
Asaphal, saphal samaan manorath,
Sab kuchh dekar kuchh na maangate,
Paavas banakar dhalana hoga !
Qadam milaakar chalana hoga !!
Kuchh kaanton se sajjit jeevan,
Prakhar pyaar se vanchit yauvan,
Neeravata se mukharit madhuban,
Parahit arpit apana tan-man,
Jeevan ko shat-shat aahuti mein,
Jalana hoga, galana hoga !
Qadam milaakar chalana hoga !!
― Atal Bihari Vajpayee
कैसे तेरा बाप मुझे करेगा कुबूल Kaise Tera Baap Mujhe Karega Kabool Lyrics ― Mujawar Malegavi
वाह! वाह! क्या बात है! एक भारतीय हास्य कविता का कार्यक्रम है जिसका प्रसारण सब टीवी पर हुआ था। हास्य कवि सम्मेलन कार्यक्रम की मेजबानी शैलेश लोढ़ा और नेहा मेहता ने की थी।
इस शो में कई प्रसिद्ध हिंदी हास्य कवि, गीतकार और उर्दू शायर ने अपनी कविताएँ सुनाई हैं। उनमें से एक थे मुजावर मालेगावी जो इस हास्य कार्यक्रम के माध्यम से फोकस में आ गए। उनकी हास्य कविताएँ बड़ी प्रसिद्ध हैं, उनमें से ही एक हैं कैसे तेरा बाप मुझे करेगा कुबूल जो मुजावर मालेगावी जी ने नेहा के. मेहता को समर्पित कर के सुनाई थी और बहुत लोकप्रिय हो गई। Haasya Kavi Sammelan, hasya kavita, Wah! Wah! Kya Baat Hai!
कैसे तेरा बाप मुझे करेगा कुबूल Kaise Tera Baap Mujhe Karega Kabool Lyrics ― Mujawar Malegavi |
कैसे तेरा बाप मुझे करेगा कुबूल लिरिक्स
MA BA तू है, मैं हूँ जंगली बबूल
MA BA तू है, मैं हूँ जंगली बबूल
कैसे तेरा बाप मुझे करेगा कुबूल ♪♪♪
खुबसूरत फूल तू है, मैं हूँ जंगली बबूल
खुबसूरत फूल तू है, मैं हूँ जंगली बबूल
कैसे तेरा बाप मुझे करेगा कुबूल ♪♪♪
बात मेरी मान तू है देखने में हूर
और गौर से तू देख मुझे मैं हूं लंगूर
चाँद का है टुकड़ा ये तेरा मुखड़ा
कछुवे के जैसे है ये मेरा मुसडा
तू है कोका कोला तू है ठंडा ठंडा कूल
कैसे तेरा बाप मुझे करेगा कुबूल ♪♪♪
MA BA तू है, मैं हूँ जंगली बबूल
कैसे तेरा बाप मुझे करेगा कुबूल ♪♪♪
बाल नही मेरे शाहरुख़ खान की तरा रा रा
गाल नही मेरे आमिर खान की तरह
हालत नही मेरी सलमान की तरह
सूरत नही सैफ अली खान की तरह
जानी लीवर जैसा मैं हूँ तू है काजूल
कैसे तेरा बाप मुझे करेगा कुबूल ♪♪♪
MA BA तू है, मैं हूँ जंगली बबूल
कैसे तेरा बाप मुझे करेगा कुबूल ♪♪♪
जेल की हवाएं मैंने खायी कई बार
और घर से हुवा हूँ कई बार ताड़ी पार
तेरा बड़ा भाई जो है वो है हवलदार
छोटा जज की चलता है वो कार
आलू वडा मैं हूँ और तू है क्रीम रुल
कैसे तेरा बाप मुझे करेगा कुबूल
MA BA तू है, मैं हूँ जंगली बबूल
कैसे तेरा बाप मुझे करेगा कुबूल ♪♪♪
आगरे का ताज महल है तेरा बदन
और जुल्फों में तेरी है तारों की अंजुमन
गेंडे जैसी मोटी मोटी खाल है मेरी
टी बी के मरीज़ जैसी चाल है मेरी
तू चमेली मोगरा मैं धतूरे का फूल
कैसे तेरा बाप मुझे करेगा कुबूल ♪♪♪
MA BA तू है, मैं हूँ जंगली बबूल
कैसे तेरा बाप मुझे करेगा कुबूल ♪♪♪
खुबसूरत फूल तू है, मैं हूँ जंगली बबूल
कैसे तेरा बाप मुझे करेगा कुबूल ♪♪♪
― मुजावर मालेगावी
कठिन शब्दों के अर्थ :
😂😂👉😜🤣🤣🙈
Wah! Wah! Kya Baat Hai! is an Indian comedy poetry program which was broadcast on SAB TV. The Comedy Kavi Sammelan program was hosted by Shailesh Lodha and Neha Mehta.
Many famous Hindi comedians, lyricists and Urdu poets have recited their poems in this show. One of them was Mujawar Malegawi who came into focus through this comedy programme. His humorous poems are very famous, one of them is Kaise Tera Baap Mujhe Karega Qubool, which was recited by Mujawar Malegavi ji dedicated to Neha K. Mehta and became very popular. Hasya Kavi Sammelan, Hasya Kavita, Wah! Wah! Kya Baat Hain?, MA BA Tu Hai Mai Hu Jangli Babool - Mujawar Malegavi - Wah Wah Kya Baat Hai
Kaise Tera Baap Mujhe Karega Kabool Lyrics
MA BA Too Hai, Main Hoon Jangalee Babool
MA BA Too Hai, Main Hoon Jangalee Babool
Kaise Tera Baap Mujhe Karega Kubool ♪♪♪
Khubasoorat Phool Too Hai,
Main Hoon Jangalee Babool
Khubasoorat Phool Too Hai,
Main Hoon Jangali Babul
Kaise Tera Baap Mujhe Karega Kubool ♪♪♪
Baat Meri Maan Tu Hai Dekhane Mein Hoor
Aur Gaur Se Tu Dekh Mujhe Main Hu Langur
Chaand Ka Hai Tukada Ye Tera Mukhada
Kachhuve Ke Jaise Hai Ye Mera Musada
Tu Hai Koka Kola, Tu Hai Thanda Thanda Kool
Kaise Tera Baap Mujhe Karega Kubool ♪♪♪
MA BA Too Hai, Main Hoon Jangalee Babool
Kaise Tera Baap Mujhe Karega Kubool ♪♪♪
Baal Nahi Mere Shaharukh Khan Ki Tarha ra ra
Gaal Nahi Mere Aamir Khan Ki Tarah
Haalat Nahi Meri Salman Ki Tarah
Soorat Nahi Saif Ali Khan Ki Tarah
Jaani Leevar Jaisa Main Hun Tu Hai Kaajool
Kaise Tera Baap Mujhe Karega Kubool ♪♪♪
MA BA Too Hai, Main Hoon Jangali Babul
Kaise Tera Baap Mujhe Karega Kabul ♪♪♪
Jel Ki Havayen Mainne Khayi Kai Baar
Aur Ghar Se Huva Hoon Kai Baar Taadi Paar
Tera Bada Bhai Jo Hai Vo Hai Havaladaar
Chhota Jaj Ki Chalata Hai Vo Kaar
Aaloo Vada Main Hoon Aur Tu Hai Kreem Rool
Kaise Tera Baap Mujhe Karega Kubool ♪♪♪
MA BA Too Hai, Main Hoon Jangalee Babool
Kaise Tera Baap Mujhe Karega Kubool ♪♪♪
Aagare Ka Taaj Mahal Hai Tera Badan
Aur Julfo Mein Teri Hai Taaron Ki Anjuman
Gende Jaisi Moti Moti Khaal Hai Meri
T B Ke Mareez Jaisi Chaal Hai Meri
Too Chameli Mogara Main Dhatoore Ka Phool
Kaise Tera Baap Mujhe Karega Kubool ♪♪♪
MA BA Tu Hai, Main Hoon Jangali Babul
Kaise Tera Baap Mujhe Karega Kubul ♪♪♪
Khubasurat Phul Tu hai, Main Hu Jangali Babul
Kaise Tera Baap Mujhe Karega Kubool ♪♪♪
― Mujawar Malegavi
Meaning of Difficult Words (Kathin Shabdon Ke Arth ) :
* Jangalee Babool (Jangli Babul) ➤ Ashikshit , Anpadh
* Musada ➤ Kharaab Dikhane Vaala Chehara
* Kaajool ➤ Kajol (Naam)
* Anjuman ➤ Sabha, Mahafil